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१०.१२ अन्योक्तयः। १२.२ द्वितीया अन्योक्तिः। कक्षा दशमी। शेमुषी।


१२. अन्योक्तयः।

द्वितीया अन्योक्तः। कक्षा दशमी।


हम बहुत बार समाज में देखते हैं कि कोई एक गरीब व्यक्ति उसके किसी सज्जन मित्र से मदद लेती है। और उनकी घनी दोस्ती से बार बार मदद मिलती रहती है। और अन्ततः गरीब व्यक्ति उस मित्र के उपकारों के तले इतना दब जात है कि वह उस उपकर से उर्ऋण नहीं हो पाता। प्रस्तुत अन्योक्ति में भी यही प्रतिबिंब देखने को मिलता है।

भुक्ता मृणालपटली भवता निपीता -

न्यम्बूनि यत्र नलिनानि निषेवितानि।

रे राजहंस वद तस्य सरोवरस्य,

कृत्येन केन भवितासि कतोपकारः।।२।।


प्रथमा पंक्ति -

भुक्ता मृणालपटली भवता निपीतान्यम्बूनि यत्र नलिनानि निषेवितानि।


शब्दार्थ -
  • भुक्ता - खाई है
  • मृृणालपटली - कमलनाल
  • भवता - आप ने
  • निपीतानि - पीया है
  • अम्बूनि - पानी
  • यत्र – जहां
  • नलिनानि - कमल के फूल
  • निषेवितानि - सेवन किया है
अन्वय -

यत्र भवता मृणालपटली भुक्ता, अम्बूनि निपीतानि नलिनानि () सेवितानि,

जहाँ आप ने कमलनाल का भोजन किया है, पानी पी लिया है और कमलफूलों का सेवन किया है,



द्वितीया पंक्ति -

रे राजहंस वद तस्य सरोवरस्य कृत्येन केन भवितासि कतोपकारः।।२।।


शब्दार्थ -
  • रे राजहंस – हे राजहंस
  • वद – बोलो
  • तस्य – उस
  • सरोवरस्य – तालाब के
  • कृत्येन – काम से
  • केन – किस
  • भवितासि - होंगे, भविष्य में कभी बन पाओंगे
  • कृतोपकारः - प्रत्युपकार, उर्ऋण, ऋणमुक्त, (किया है उपकार जिसने वह)

अन्वय -

रे राजहंस! वद, तस्य सरोवरस्य (उपकारात्) केन कृत्येन कृतोपकारः भवितासि?

हे राजहंस! बोलो, उस सरोवर के उपकार से किस काम से उपकारमुक्त होगे?


दोनों पंक्तियों का साथ में यदि एकत्रित विचार किया जाए तो श्लोक का अर्थ कुछ इस प्रकार होता है - हे राजहंस! तुम ने सरोवर में कमलनाल का भोजन किया, पानी पिया और कमल के फूलों का आस्वाद लिया। अब बोलो, कौनसा काम कर के सरोवर के इतने बड़े उपकार से मुक्त हो जाओंगे।
अन्योक्ति - किसी व्यक्ति पर किसी अन्य सज्जन ने बहुत उपकार किए हैं। और वह व्यक्ति उस सज्जन के उपकारों के नहीं चुका पा रही है। उस व्यक्ति के लिए यह अन्योक्ति है।

भावार्थ -

हे राजहंस, त्वं कमलनालं खादितवान्, जलं पीतवान् कमलपुष्पाणि च सेवितवान्। अर्थात् सरोवरः तव कृते उपकारं कृतवान्। अधुना - त्वं तस्य सरोवरस्य उपकारात् मुक्तः कथं भविष्यसि इति वद।

अत्र यथा राजहंसः सरोवरस्य उपकारात् मुक्तः भवितुं न शक्नोति। तथैव समाजे अपि अनेके जनाः कस्यचित् उपकारेण बद्धाः दृश्यन्ते।


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१०.१२ अन्योक्तयः। १२.२ द्वितीया अन्योक्तिः। कक्षा दशमी। शेमुषी। १०.१२ अन्योक्तयः। १२.२ द्वितीया अन्योक्तिः। कक्षा दशमी। शेमुषी। Reviewed by मधुकर शिवशंकर आटोळे on सितंबर 23, 2019 Rating: 5

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