१२. अन्योक्तयः।
कक्षा दशमी। शेमुषी।
कक्षा दसवीं के संस्कृत पाठ्यपुस्तक के बारहवे पाठ का नाम है - अन्योक्तयः।
अन्योक्तयः इस शब्द का मूल शब्द है अन्योक्तिः। यह ह्रस्व इकारान्त स्त्रीलिंग शब्द है ।अन्योक्ति यह शब्द भी दो शब्दों से मिलकर बना है । पहला है अन्य, और दूसरा है उक्ति। अन्य + उक्ति = अन्योक्ति । यहां गुण संधि के नियम से दो शब्द आपस में जुड़े हुए हैं ।
- अन्य - दूसरा
- उक्ति - कहा गया वाक्य
अर्थात कुल मिलाकर अन्योक्ति इस शब्द का अर्थ होता है दूसरे के लिए कहा गया वाक्य। और अन्योक्तयः यह बहुवचन रूप है । यानी बहुत सारी अन्योक्तियाँ। प्रस्तुत पाठ में कुल मिलाकर सात श्लोक हैं जो अन्योक्ति के श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
प्रथमा अन्योक्तिः -
एकेन राजहंसेन या शोभा सरसो भवेत्।
न सा बकसहस्रेण परितस्तीरवासिना॥१॥
शब्दार्थ -
- एकेन - एक
- राजहंसेन - राजहंस (पक्षी) से
- या - जो
- शोभा - शोभा, सुन्दरता
- सरसः - तालाब की
- भवेत् - होती हो, होनी चाहिए
- न - नहीं
- बकसहस्रेण - सैकड़ो बगुलों से
- परितः - चारों ओर से
- तीरवासिना - किनारे पर रहनेवालों से
हम इस श्लोक को हिन्दी भाषा के माध्यम से पढ रहे हैं। तो अब हम इस श्लोक में मौजूद संस्कृत शब्दों को हिन्दी भाषा के अनुरूप फिर से क्रमबद्ध करेंगे। इस प्रकार से हिन्दी के हिसाब से शब्दों का क्रम पुनः लागाने की प्रक्रिया को अन्वय कहते हैं। इस अन्वय प्रक्रिया में कभी कभी कुछ कुछ शब्द अपने मन से भी लिखने पडते हैं। तो अब हम इस श्लोक का अन्वय करेंगे।
अन्वय -
एकेन राजहंसेन सरसः या शोभा भवेत्, परितः तीरवासिना बकसहस्रेण सा (शोभा) न (भवति)।
एक राजहंस से तालाब की जो शोभा होती है, चारों तरफ से किनारे पर रहने वाले सैंकड़ो बगुलों से वह शोभा नहीं होती है।
अगर देखा जाए तो इस श्लोक का अर्थ स्पष्ट है। किसी नदी के पानी में अगर एक ही राजहंस जैसा बहुत सुन्दर पक्षी बैठ कर तैर रहा हो, तो वह स्थान बहुत सुन्दर दिखाई देता है। नहीं तो नदी के किनारे पर तो हर तरफ से हजारों बगुले तो बैठते ही हैं। परन्तु उनसे वह नदी का वह सौन्दर्य नहीं दिखता जो केवल एक राजहंस के आने से दिखता है।
परन्तु यह इस श्लोक का केवल शाब्दिक अर्थ है। हमें यह ध्यान में रखना है कि प्रस्तुत पाठ का नाम है - अन्योक्तयः। यह श्लोक एक अन्योक्ति है। अर्थात इस श्लोक का इशारा दूसरी तरफ है। इस अन्योक्ति का इशारा हमरे मानव समाज की ओर है। जैसे कि हम देख सकते हैं कि किसी एक ही गुणवान् व्यक्ति सम्पूर्ण समाज को सुशोभित कर देती है। उस एक महान् व्यक्ति के होने से जो प्रतिष्ठा और सन्मान समाज को प्राप्त होता है वैसा साधारण व्यक्तियों की हजारों की संख्या से भी नही मिलता।
जैसे कि हम देख सकते हैं कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में करो़डो की संख्या में आबादी रहती है। परन्तु भारतमाता के कुछ चुनिन्दा सुपुत्रों ने ही भारत का नाम पूरी दुनिया में रौशन किया है। जैसे की महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, महात्मा गान्धी, भगतसिंह इत्यादि.
भावार्थ -
प्रतिदिनं सरोवरं परितः अनेके बकाः निवसन्ति। परन्तु तेन सरोवरस्य शोभा न भवति। परन्तु तस्मिन् एव सरोवरे यदि एकः अपि राजहंसः अस्ति तर्हि तेन एव सः सरोवरः शोभते।
सहस्र या सहस्त्र?
एक और बात को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि हज़ार, thousand इस अर्थ में सहस्र यह शब्द संस्कृत भाषा में है। और बहुत सारे लोग इसे सहस्त्र ऐसा पढते हैं। हमारी देवनागरी लिपि में सहस्र और सहस्त्र इन में ज्यादा अन्तर नहीं दिखाई पडता। कदाचित यहां मुद्रित अक्षर हैं तो किंचित दिखाई भी पडता है। परन्तु हाथ से लिखित अक्षरों में तो लोग लिखते समय इस बात की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। और सहस्र या सहस्त्र, जो मन में आए लिखते हैं, बोलते हैं। सर्वप्रथम हम इस का वर्णविच्छेद देखते हैं -- स् + अ + ह् + अ + स् + र् + अ
इसे रोमन लिपिद्वारा लिखने पर अन्तर अधिक स्पष्ट रूप में दिखता है।
Sahasra - Sahastra
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१०.१२ अन्योक्तयः। १२.१ प्रथमा अन्योक्तिः। द्वादशः पाठः। कक्षा दशमी। शेमुषी।
Reviewed by मधुकर शिवशंकर आटोळे
on
सितंबर 23, 2019
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