हरिततरूणां ललितलतानां माला रमणीया।
कुसमावलिः समीरचालिता स्यान्मे वरणीया॥
नवमालिका रसालं मिलिता रुचिरं संगमनम्। शुचिपर्यावरणम् ....॥५॥
परंतु इस श्लोक में कवि वन का वर्णन करते हैं। वन में तरह-तरह के वृक्ष होते हैं। और ऐसे वृक्षों पर सुंदर-सुंदर लताएं चढ़ती है। एक तरफ शहरों में मोटरों और रेलगाड़ियों माला है। तथा दूसरी तरफ जंगल में रमणीय वृक्षों के और लताओं की माला है।
शहरों में गाड़ियों की माला जहरीला धुआं छोड़ती है, कर्कश आवाज़ में चींखती हैं तो दूसरी तरफ जंगल में हवा के झोंके से लहराने वाली फूलों की माला होती हैं। हमें किसका वरण (स्वीकार) करना चाहिए? ज़ाहिर है, फूलों की माला ही हमारे लिए वरणीय (स्वीकार करने योग्य) है।
नवमालिका यह एक सुन्दर और सुगन्धी फूलों वाली लता होती है। यह लता यदि आम के पेड़ पर चढ़ जाए तो वह दृश्य कितना सुन्दर होगा। एक तरफ सुन्दर और सुगन्धी नवमालिका और दूसरी तरफ मीठे आम का पेड़।
यह मिलाप बहुत ही उत्तम होता है।
कुसमावलिः समीरचालिता स्यान्मे वरणीया॥
नवमालिका रसालं मिलिता रुचिरं संगमनम्। शुचिपर्यावरणम् ....॥५॥
शब्दार्थ
- हरिततरूणाम् - हरे पेड़ों की
- ललितलतानाम् - सुन्दर लताओं की
- माला - हार
- रमणीया - सुन्दर
- कुसमावलिः - फूरों की कतार
- समीरचालिता - हवा से लहराने वाली
- स्यात् - हो जाए
- मे - मेरे लिए / मेरी
- वरणीया - स्वीकरणीया। अंगीकार करने योग्य
- नवमालिका - एक सुगन्धी फूलों की लता
- रसालम् - आम के पेड को
- मिलिता - मिल गई है
- रुचिरम् - बहुत अच्छा, आनन्ददायी
- संगमनम् - मेलनम्। मिलाप
अन्वय
(वने) हरिततरूणां ललितलतानां (च) माला रमणीया (अस्ति)। समीरचालिता कुसुमावलिः मम वरणीया स्यात्। नवमालिका रसालं मिलिता (स्यात्)। (एतत्) संगमनं रुचिरं (भविष्यति।)हिन्दी में अनुवाद
वन में हरे पेड़ों की और सुन्दर लताओं की माला बहुत सुन्दर होती है। हवा से लहराती हुई फूलों की कतार मेरे लिए स्वीकरणीया होवे। नवमालिका की लता आम के पेड़ से मिल जाए तो वह कितना सुन्दर मिलाप होगा।
भावार्थ
कविता के द्वितीय श्लोक में कवि ने शहरों में दौड़ने वाली गाड़ियों की कतार का उल्लेख किया था। वाष्पयानमाला यानी रेलगाड़ी का उल्लेख किया है। जो चींखते हुए जाती है। बहुत प्रदूषण होता है।परंतु इस श्लोक में कवि वन का वर्णन करते हैं। वन में तरह-तरह के वृक्ष होते हैं। और ऐसे वृक्षों पर सुंदर-सुंदर लताएं चढ़ती है। एक तरफ शहरों में मोटरों और रेलगाड़ियों माला है। तथा दूसरी तरफ जंगल में रमणीय वृक्षों के और लताओं की माला है।
शहरों में गाड़ियों की माला जहरीला धुआं छोड़ती है, कर्कश आवाज़ में चींखती हैं तो दूसरी तरफ जंगल में हवा के झोंके से लहराने वाली फूलों की माला होती हैं। हमें किसका वरण (स्वीकार) करना चाहिए? ज़ाहिर है, फूलों की माला ही हमारे लिए वरणीय (स्वीकार करने योग्य) है।
नवमालिका
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नवमालिका रसालं मिलिता |
यह मिलाप बहुत ही उत्तम होता है।
संस्कृत भावार्थ
कविः प्रदूषितं नगरीयं वातावरणं त्यक्त्वा वनं गन्तुम् इच्छति। अतः कविः वनसौन्दर्यस्य वर्णनं करोति। वने हरितवृक्षाः सन्ति, सुन्दरलताः अपि सन्ति। तेषां रमणीया पङ्क्तिः बहु-आनन्ददायिनी भवति। कविः वायुप्रवाहेन कम्पायमानायाः पुष्पमालायाः वरणं कर्तुम् इच्छति। वने नवमालिका नाम काचित् सुन्दरसुगन्धिपुष्पाणां लता वर्तते। कदाचित् सा लता आम्रवृक्षम् आरोहति। तयोः सुन्दरं मेलनं दृष्ट्वा कविः आनन्दितः भवति।
हिन्दी अर्थ
कवि शहरों का प्रदूषित वातावरण छोडकर जंगल जाना चाहते हैं। इसीलिए कवि वनीय सुन्दरता का वर्णन करते हैं। वन में हरे वृक्ष तथा सुन्दर लताएं होती है। और उनकी कतारें बहुत आनन्दप्रद होती हैं। कविः हवा के झोंके से हिलने वाली पुष्पमाला का स्वीकार करना चाहते हैं। वन में नवमालिका नामक एक सुन्दर और सुगन्धी पुष्पों की लता होती है। कदाचित वह लता आम के पेड़ पर चढ़ जाती है। उनका वह सुन्दर मिलाप देखकर कवि आनन्दित होते हैं।
व्याकरण
सन्धि
स्यान्मे
- स्यात् + मे
- अनुनासिकत्वम्।
समास
हरिततरूणाम्
- हरितानां तरूणाम् - अथवा
- हरिताः तरवः हरिततरवः, तेषाम्।
- कर्मधारयः
- ललितानां लतानाम् - अथवा
- ललिताः लताः ललितलताः, तासाम्
- कर्मधारयः
- कुसुमानाम् आवलिः
- षष्ठीतत्पुरुषः
- समीरेण चालिता
- तृतीयातत्पुरुषः
प्रत्यय
- रमणीया - रम् + अनीयर् + टाप्
- चालिता - चल् + णिच् + क्त + टाप्
- वरणीया - वृ + अनीयर् + टाप्
- मिलिता - मिल् + क्त + टाप्
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शुचिपर्यावरणम् । श्लोक ५। हरिततरूणां ललितलतानाम्। कक्षा दशमी - शेमुषी । CBSE संस्कृतम्
Reviewed by कक्षा कौमुदी
on
जून 07, 2020
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