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९.६ भ्रान्तो बालः। हिंदी अनुवाद। कक्षा नवमी। शेमुषी। CBSE संस्कृतम् - word to word Hindi translation

भ्रान्तो बालः

कक्षा नवमी। 


भ्रान्तो बालः। Cbse 9th sanskrit
भ्रान्तो बालः । कक्षा नवमी। शेमुषी



संस्कृत

भ्रान्तः कश्चन बालः पाठशालागमनवेलायां क्रीडितुं निर्जगाम। 

हिन्दी अनुवाद

भटका हुआ कोई बालक पाठशाला जाने के समय खेलने के लिए निकल जाता है।


संस्कृतम्

किन्तु तेन सह केलिभिः कालं क्षेप्तुं तदा कोऽपि न वयस्येषु उपलभ्यमान आसीत्। 

हिन्दी अनुवाद

लेकिन उसके साथ खेल के समय गंवाने के लिए तब कोई भी (उसके) मित्रों में से मौजूद नहीं था।

व्याख्या

यानी उसके साथ खेल कर वक्त जाया करने के लिए कोई भी मित्र तैयार नहीं था । सब मित्र पढ़ना चाहते थे।


संस्कृत

यतस्ते सर्वेऽपि पूर्वदिनपाठान् स्मृत्वा विद्यालयगमनाय त्वरमाणा बभूवुः।

पदच्छेद

यतः ते सर्वे अपि पूर्वदिनपाठान् स्मृत्वा विद्यालयगमनाय त्वरमाणा बभूवुः।

हिन्दी अनुवाद

क्योंकि वे सभी पिछले दिन के पाठों को याद करके विद्यालय जाने के लिए शीघ्रता करने लगे।

व्याख्या

यह भटका हुआ बालक उनके खेलने के लिए बुलाना चाहता था, लेकिन उनके पास खेलने के लिए समय नहीं था। वे तो पिछले दिनों में शिक्षकों ने पढ़ाए पाठों का अभ्यास कर के विद्यालय जाने के लिए जल्दी में थे।


संस्कृत

तन्द्रालुर्बालो लज्जया तेषां दृष्टिपथमपि परिहरन्नेकाकी किमप्युद्यानं प्रविवेश। 

पदच्छेद

तन्द्रालुः बालः लज्जया तेषां दृष्टिपथम् अपि परिहरन् एकाकी किमपि उद्यानं प्रविवेश।

हिन्दी अनुवाद

आलसी बालक शर्म से उनकी नज़रें चुराकर अकेला ही किसी बग़ीचे में घुस गया


संस्कृत

स चिन्तयामास - विरमन्त्वेते वराकाः पुस्तकदासाः।

पदच्छेद

सः चिन्तयामास - विरमन्तु एते वराकाः पुस्तकदासाः।

हिन्दी अनुवाद

वह सोचने लगा - रहने दो इन बेचारे पुस्तकों के ग़ुलामों को।


संस्कृत

अहं पुनरात्मानं विनोदयिष्यामि। 

पदच्छेद

अहं पुनः आत्मानं विनोदयिष्यामि।

हिन्दी अनुवाद

मैं फिर से अपने आप का मनोरंजन करता हूँ।


संस्कृत

ननु भूयो द्रक्ष्यामि क्रुद्धस्य उपाध्यायस्य मुखम्। 

हिन्दी अनुवाद

भले फिर से देख लूंगा ग़ुस्सैले शिक्षका मुंह।

व्याख्या

बालक इतना पक्का है कि उसे ग़ुस्से से भरा शिक्षक का मुंह देखना पड़े (यानी शिक्षक क्रुद्ध हो तो) उसे चलता है। लेकिन विद्यालय जाकर पढ़ना उसे पसन्द नहीं है।


संस्कृत

सन्त्वेते निष्कुटवासिन एव प्राणिनो मम वयस्या इति। 

पदच्छेद

सन्तु एते निष्कुटवासिनः एव प्राणिनः मम वयस्याः इति।

हिन्दी अनुवाद

हो जाएं ये कोटरी में रहने वाले ही प्राणी मेरे मित्र ।

व्याख्या

बालक सोचता है कि उसके मित्र यदि उसके साथ खेलना नहीं चाहते हैं, तो कोई बात नहीं।  बालक चाहता है कि ये पड़ो के कोटरों में रहने वाले प्राणी ही उसके मित्र बन जाए।

वह बग़ीचे में अकेला था। उसे मित्रों की आवश्यकता थी। तथापि कोई भी मित्र उसे साथ खेलने के लिए तैयार नहीं थे। इसीलिए वह अब प्राणियों को ही अपना मित्र बनाने का प्रयत्न करता है।


संस्कृत

अथ स पुष्पोद्यानं व्रजन्तं मधुकरं दृष्ट्वा तं क्रीडाहेतोराह्वयत्। 

पदच्छेद

अथ सः पुष्पोद्यानं व्रजन्तं मधुकरं दृष्ट्वा तं क्रीडाहेतोः आह्वयत्।

हिन्दी अनुवाद

बाद में फिर वह फूलों के बगीचे में घूमने वाले भौरे को देख कर उसे क्रीडा के लिए बुलाता है।


संस्कृत

स द्विस्त्रिरस्याह्वानमेव न मानयामास। 

पदच्छेद

सः द्विस्त्रिः अस्य आह्वानम् एव न मानयामास।

हिन्दी अनुवाद

उस (भौरे) ने तो दो तीन बार इसका (बालक का) बुलाना तो माना ही नहीं।

व्याख्या

यहां बालक उस भौरे को खेलने के लिए बुला रहा है। लेकिन भौरा उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।


संस्कृत

ततो भूयो भूयः हठमाचरति बाले सोऽगायत्-वयं हि मधुसंग्रहव्यग्रा इति। 

पदच्छेद

ततः भूयः भूयः हठम् आचरति बाले सः अगायत् - वयं हि मधुसंग्रहव्यग्राः इति।

हिन्दी अनुवाद

बाद में बार बार बालक के ज़िद करने पर वह (भौरा) बोला - हम तो शहद जमा करने में व्यग्र (मग्न) हैं।

व्याख्या

भौरे ने बालके के बुलाने को अनसुना कर दिया तो बालक ने भी बार बार ज़िद कर के उसे बुलाया ही। लेकिन बालक के ऐसे हठ करने पर भौरे ने बस इतना कहा - हम तो शहद जमा करने में व्यस्त हैं। 

अब उसका ऐसे उत्तरे से बालक समझ गया कि भौरा उसके साथ खेलने के लिए नहीं आ सकता है। भौरे ने उसका प्रस्ताव ठुकरा दिया इस बात का बालक को बुरा भी लगा।


संस्कृत

तदा स बालः 'कृतमनेन मिथ्यागर्वितेन कीटेन' इत्यन्यतो दत्तदृष्टिश्चटकमेकं चञ्च्वा तृणशलाकादिकमाददानमपश्यत्। 

पदच्छेद

तदा सः बालः 'कृतम् अनेन मिथ्यागर्वितेन कीटेन' इति अन्यतः दत्तदृष्टिः चटकम् एकं चञ्च्वा तृणशलाकादिकम् आददानम् अपश्यत्।

हिन्दी अनुवाद

तब उस बालक ने - किया है इस झूठे घमंडी कीड़े ने ऐसा (कहकर) दूसरी तरफ देखा तो एक चिड़े को चोंच से घास फूस वगैरह लेकर जाते हुए देखा

व्याख्या

बेचारे बालक के साथ खेलने के लिए भौरे ने मना कर दिया तो उसने गुस्से से कहा कि - ऐसा बर्ताव मेरे साथ उस भौरे ने घमंड से किया है। यानी वह बालक भौरे को घमंडी कहता है। लेकिन तभी उसकी नज़र दूसरी तरफ पड़ती है तो उसे एक चिड़ा अपनी चोंच में घास फूस आदि लेकर जाते हुए दिखता है। बालक को उसे भी अपने साथ खेलने के लिए बुलाने की इच्छा होती है।


संस्कृत

उवाच च - “अयि चटकपोत! मानुषस्य मम मित्रं भविष्यसि। एहि क्रीडावः। 

हिन्दी अनुवाद

और (वह) बोला - हे चिड़ियों में श्रेष्ठ चिड़े, मुझ इंसान का मित्र होगे? चलो खेलते हैं।

व्याख्या

अब वह बालक पहले उस चिड़े की पहले - चटकपोत ऐसा कह कर प्रशंसा करता है। चटकपोत यानी चिडों में श्रेष्ठ। और बाद में पूंछता है - क्या तुम मेरे जैसे मनुष्य के मित्र बनना चाहते हो? चलो खेलते हैं।


संस्कृत

त्यज शुष्कमेतत् तृणं, स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि" इति।

हिन्दी अनुवाद

छोड़ दो सूखी यह घास, स्वादिष्ट खाने के लिए अच्छे निवाले तुम्हे दूंगा।

व्याख्या

बालक यहां उस चिडे को लालच दिखाना चाहता है। पहले वाक्य में तो वह उसे खेलने के लिए आमन्त्रित करता है (एहि क्रीडावः) और अब इस वाक्य में उस चिड़े को स्वादिष्ट खाने के लिए भी ललचाता है।


संस्कृत

स तु 'नीडः कार्यो बटद्रुशाखायां तद्यामि कार्येण' इत्युक्त्वा स्वकर्मव्यग्रो बभूव। 

पदच्छेद

सः तु 'नीडः कार्यः बटद्रुशाखायां तद् यामि कार्येण' इति उक्त्वा स्वकर्मव्यग्रः बभूव।

हिन्दी अनुवाद

(लेकिन) वह (चिडा) तो - घौसला बनाना है बरगद की डाली पर, तो मैं जा रहा हूँ (अपने) काम से। ऐसा कह कर अपने काम में मग्न हो गया।

व्याख्या

बालक ने जो लालच चिडे को दिखाई थी वह काम नहीं आई। चिडे ने बस इतना कहा कि मुझे बरगद के पेड़ की डाली पर घौसला बनाना है। मैं तो अपने काम से जा रहा हूँ।

अर्थात् बालक की लालच में चिड़ा नहीं फंसा।


संस्कृत

तदा खिन्नो बालकः एते पक्षिणो मानुषेषु नोपगच्छन्ति। 

पदच्छेद

तदा खिन्नः बालकः एते पक्षिणः मानुषेषु न उपगच्छन्ति।

हिन्दी अनुवाद

तब दुखी बालक - ये पंछी मनुष्यों के पास नहीं आते हैं।

व्याख्या

तब बालक दुखी हो कर सोचता है - ये पंछी शायद मनुष्यों के पास नहीं आते हैं।


संस्कृत

तदन्वेषयाम्यपरं मानुषोचितं विनोदयितारमिति परिक्रम्य पलायमानं कमपि श्वानमवालोकयत्। 

पदच्छेद

तद् अन्वेषयामि अपरं मानुष-उचितं विनोदयितारम् इति परिक्रम्य पलायमानं कमपि श्वानम् अवालोकयत्।

हिन्दी अनुवाद

तो मैं ढूंडता हूँ किसी दूसरे मनुष्यों के लिए उचित लुभाने वाले को। ऐसा सोचकर बालक पलटता है और भागे जाने वाले किसी कुत्ते को देखता है।


संस्कृत

प्रीतो बालस्तमित्थं संबोधयामास - रे मानुषाणां मित्र! किं पर्यटसि अस्मिन् निदाघदिवसे? 

पदच्छेद

प्रीतः बालः तम् इत्थं संबोधयामास - रे मानुषाणां मित्र! किं पर्यटसि अस्मिन् निदाघदिवसे?

हिन्दी अनुवाद

खुश होकर बालक ने उसे ऐसे बुलाया - रे मनुष्यों के मित्र! क्यों घूम रहे हो इस धूप भरे दिन में?

व्याख्या

अब कुत्ते को देख कर बालक खुश हो जाता है। क्यों कि बालक को पता है कि कुत्ते मनुष्य के मित्र होते हैं। ये कुत्ता जरूर खेल सकता है। इसी लिए खुशी से बालक कुत्ते को आवाज देता है - रे इंसानों के मित्र, ऐसी धूप में कहां घूम रहे हो?


संस्कृत

आश्रयस्वेदं प्रच्छायशीतलं तरुमूलम्। 

पदच्छेद

आश्रयस्व इदं प्रच्छायशीतलं तरुमूलम्।

हिन्दी अनुवाद

आ जाओ इस घनी शीतल छाया वाले पेड के नीचे।


संस्कृत

अहमपि क्रीडासहायं त्वामेवानुरूपं पश्यामीति।

पदच्छेद

अहम् अपि क्रीडासहायं त्वाम् एव अनुरूपं पश्यामि इति।

हिन्दी अनुवाद

मैं भी खेलने के लिए साथी तुम्हारे जैसा ही देख रहा हूँ।

व्याख्या

यहाँ बालक कुत्ते से कहता है - मैं तुम्हारे जैसा ही साथी खेलने के लिए देख रहा था।


संस्कृत

कुक्कुरः प्रत्याह 

हिन्दी अनुवाद

कुत्ते ने उत्तर दिया


संस्कृत

यो मां पुत्रप्रीत्या पोषयति स्वामिनो गृहे तस्य। 

रक्षानियोगकरणान्न मया भ्रष्टव्यमीषदपि।। इति।

पदच्छेद और श्लोक का शब्दार्थ

  • यः - जो
  • माम् - मुझे
  • पुत्रप्रीत्या - पुत्र समान प्रेम से
  • पोषयति - पालन पोषण करता है, पालता है
  • स्वामिनः मालिक के
  • गृहे - घर में
  • तस्य - उस।
  • रक्षानियोगकरणात् - रखवाली के काम से
  • न - नहीं
  • मया - मया
  • भ्रष्टव्यम् - चूकना चाहिए, भ्रष्ट होना चाहिए
  • ईषद् अपि - थोड़ा सा भी॥

अन्वय -

यः (स्वामी) मां पुत्रप्रीत्या पोषयति, तस्य स्वामिनः गृहे रक्षानियोगकारणात् मया ईषद् अपि न भ्रष्टव्यम्॥

हिन्दी अनुवाद

जो मुझे पुत्र समान प्रेम से पोसता है, उस मालिक के घर में रखवाली के काम से मुझे ज़रा भी नहीं चूकना चाहिए॥


संस्कृत

सर्वैरेवं निषिद्धः स बालो विनितमनोरथः सन् - 

पदच्छेद

सर्वैः एवं निषिद्धः सः बालः विघ्नितमनोरथः सन् - 

हिन्दी अनुवाद

सभी के द्वारा इस प्रकारे से झिडका हुआ वह बालक, जिसके इरादे टूट चुके थे, -

व्याख्या

इस प्रकार से भौरा, चिडा और कुत्ता इन सभी ने बालक के साथ खेल कर समय की बर्बादी करने के लिए मना किया। इस वजह से बालक के इरादे टूट गए। और अब बालक सोचने लगा -


संस्कृत

'कथमस्मिन् जगति प्रत्येकं स्व-स्वकृत्ये निमग्नो भवति। 

पदच्छेद

'कथम् अस्मिन् जगति प्रत्येकं स्व-स्वकृत्ये निमग्नः भवति।

हिन्दी अनुवाद

कैसे इस दुनिया में हर कोई अपने अपने काम में निमग्न होता है।


संस्कृत

न कोऽप्यहमिव वृथा कालक्षेपं सहते। 

पदच्छेद

न कः अपि अहम् इव वृथा कालक्षेपं सहते।

हिन्दी अनुवाद

नहीं कोई भी मेरे जैसे बेकार कालक्षेप (टाईम-पास) सहन करता है।

व्याख्या

अब बालक के दिमाग की बत्ती जलने लगती है। वह सोचता है कि दुनिया में सभी अपने  अपने काम में लगे रहते हैं। कोई भी मेरे जैसा नहीं है। यानी कोई भी (जानवर भी) अपना समय गंवाना नहीं चाहते हैं।



संस्कृत

नम एतेभ्यः यैर्मे तन्द्रालुतायां कुत्सा समापादिता। 

पदच्छेद

नमः एतेभ्यः यैः मे तन्द्रालुतायां कुत्सा समापादिता।

हिन्दी अनुवाद

नमन है उन्हे जिन्होने मेरे आलस्य में (मेरी) निन्दा की।

व्याख्या

अब बालक उन सभी का धन्यवाद कर रहा है, जिन्होंने उसके आलस्य की निन्दा कर के उसे जगाया।


संस्कृत

अथ स्वोचितमहमपि करोमि इति विचार्य त्वरितं पाठशालामुपजगाम।

पदच्छेद

अथ स्वोचितम् अहम् अपि करोमि इति विचार्य त्वरितं पाठशालाम् उपजगाम। 

हिन्दी अनुवाद

और फिर अपने लिए सही मैं भी करूंगा ऐसा सोच कर जल्दी से पाठशाला चला गया।

व्याख्या

अब  अपने लिए जो सही है, वह मुझे भी करना चाहिए, ऐस वह बालक सोचने लगा और विद्यालय चला गया।


संस्कृत

ततः प्रभृति स विद्याव्यसनी भूत्वा महतीं वैदुषी प्रथा सम्पदं च लेभे।

हिन्दी अनुवाद

उसके बाद उसने पढ़ने में मश्गूल हो कर बहुद बड़ी विद्वत्ता, प्रसिद्धि और सम्पत्ति प्राप्त की।

९.६ भ्रान्तो बालः। हिंदी अनुवाद। कक्षा नवमी। शेमुषी। CBSE संस्कृतम् - word to word Hindi translation ९.६ भ्रान्तो बालः। हिंदी अनुवाद। कक्षा नवमी। शेमुषी। CBSE संस्कृतम् - word to word Hindi translation Reviewed by कक्षा कौमुदी on अगस्त 10, 2020 Rating: 5

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